आशुलिपि की बहुत सी पद्धतियां है | आशुलिपि के सभी तरीको में प्राय: प्रयुक्त होने वाले कुछ शब्दो एवं वाक्यांशों के लिए संकेत या लाघव निश्चित होते है जिनका समय समय पर प्रयास कर आसानी से उच्च गति में आशुलिपि को लिखा जा सकता है आशुलिपि का प्रयोग उस काल में बहुत होता था जब रिकॉर्डिंग मशीने या डिक्टेशन मशीने नहीं बनी थी| व्यक्तिगत सचिव तथा पत्रकारों आदि के लिए आशुलिपि का ज्ञान और प्रशिक्षण अनिवार्य माना जाता था | आशुलिपि को लिखने की कई प्रणाली प्रचलन में है - अंग्रेजी में पीटमैन मुख्यत: प्रचलित है तथा हिंदी में ऋषि प्रणाली, विशिष्ट प्रणाली, जैन प्रणाली, टंडन प्रणाली आदि है | वैसे हर लेखक की अपनी एक विशेष प्रणाली बन जाती है | वर्तमान समय में आशुलिपि सिखने में अंग्रेजी में पीटमैन एंव हिंदी में ऋषि प्रणाली अधिक प्रचलन में है| उक्त दोनों ही भाषाओं की आशुलिपि बहुत ही सरल है एंव इसे सीखने में छात्र को बहुत आसानी रहती है|
Course | English |
Accessibility | Offline |
Duration | 5 months |